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Tuesday, July 8, 2014

गज़ल : सोच बदलेगी न जब तक.........



सोच बदलेगी न जब तक.........

संस्कारों की  कमी से , मनचले होते रहेंगे
कुछ न बदलेगा जहां में , हादसे होते रहेंगे.

दोष इसका दोष उसका मूल बातें गौण सारी
तालियाँ जब तक बजेंगी , चोंचले होते रहेंगे 

मौन धरने उग्र रैली , जल बुझेगी मोमबत्ती
आड़ में कुछ बाड़ में कुछ सामने होते रहेंगे
 
आबकारी  लाभकारी  लाडला सुत है कमाऊ
और  भी  तो  रास्ते हैं , फायदे होते रहेंगे 

ये गवाही वो गवाही, है बहुत ही चाल धीमी 
जानता है  हर दरिंदा  , फैसले होते रहेंगे

अश्क हैं घड़ियाल जैसे दाँत हाथी की तरह दो
रंग गिरगिट सा बदलते वो हरे होते रहेंगे 

ठोस दावे ठोस वादे, ढोल-सी आवाज इनकी
सोच बदलेगी न जब तक,खोखले होते रहेंगे

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)

10 comments:

  1. आज 09 /जुलाई /2014 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in (कुलदीप जी की प्रस्तुति में ) पर
    धन्यवाद!

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  2. कडवे सच को आपने बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया आपने। बढ़िया

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  3. आपकी ग़ज़ल में कडवी सच्चाई है, संस्कार के बिना समाज का उत्थान नही हो सकता। सादर धन्यबाद।

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  4. ये गवाही वो गवाही, है बहुत ही चाल धीमी
    जानता है हर दरिंदा , फैसले होते रहेंगे ..
    हर शेर कुछ न कुछ सच की बयानी ही कर रहा है ... लाजवाब ग़ज़ल है अरुण जी ...

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  5. Umdaa rachna... Vyang kasti gazal... Beshak behad lajawaaab .....

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  6. ये गवाही वो गवाही, है बहुत ही चाल धीमी
    जानता है हर दरिंदा , फैसले होते रहेंगे
    ....वाह...बहुत उम्दा प्रस्तुति...हरेक शेर गहन अर्थ समाये हुए...

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  7. मौन धरने उग्र रैली , जल बुझेगी मोमबत्ती
    आड़ में कुछ बाड़ में कुछ सामने होते रहेंगे

    बहुत खूब निगम साहब बेहतरीन

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  8. वाह...बहुत उम्दा प्रस्तुति..

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  9. समाज और सरकार को आईना दिखाता हर शेर लाजवाब है
    मर्यादित कलम का मर्यादित कटाक्ष.... बहुत खूब

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