Followers

Wednesday, March 14, 2012

एक अंतरंग मुलाकात श्री संजय मिश्र हबीब जी से.....


दस मार्च दिन शनिवार, ग्यारह बजे करीब
मोबाइल के कॉल पर  संजय मिश्र  हबीब.
बोले - “ भैया आपसे , है मिलने की आस
पहुँच गया हूँ दुर्ग में, ओव्हरब्रिज के पास.
लोकेशन बतलाइये ,  अपने घर की आप
ताकि पहुँचूँ शीघ्र मैं , जल्दी होय मिलाप.
संजय जी की बात सुन, आतुर हो गये नैन
मधुर मिलन की चाह में, हृदय-प्राण बैचैन.
लोकेशन बतलाई यूँ , ओव्हरब्रिज करें पार
दायें बाजू जल कलश , लीजे आप निहार.   
मुड़कर सीधे हाथ फिर चलना करें आरम्भ
बीचोंबीच इस मार्ग पर, है विद्युत स्तम्भ.
यहीं प्रतीक्षारत  खड़ा , मिल जाऊंगा भ्रात
संजय जी पहुँचे वहाँ, कुछ पल के उपरांत.
दूरभाष पर बातचीत  , चेहरे से अनजान
इक दूजे को किंतु हम, तुरत गये पहचान.
संजय जी के साथ मैं, ज्योंहि पहुँचा द्वार
सपना , बिट्टू ने किया , मुस्काकर सत्कार.
फिर आपस में बैठकर जी भर के की बात
कैसे और कब से की,ब्लॉगिंग की शुरुवात.
ओबीओ  के  आयोजन ,  चर्चा मंच के रंग
किस ब्लॉगर से मेलजोल चैटिंग किसके संग.
कुछ चर्चा साहित्य पर,कुछ पारिवारिक बात
कुछ चर्चायें ब्लॉग पर , कुछ अपने हालात.
कार्य क्षेत्र , गतिविधियाँ , रोचक कई प्रसंग
छत्तीसगढ़ की संस्कृति , कविमित्र, सत्संग.
अच्छे रचनाकार कुछ, गीत गज़ल और छंद
दो घंटों के मिलन  में,  सदियों का आनंद.
ब्लॉग जगत में क्या नहीं नेह प्रेम सम्मान
रिश्तों में मीठास   और  चिट्ठों में है ज्ञान.
निर्मल निश्छल नेह की  बंधी रहे यह डोर
प्रेम , प्यार , सद्भाव  यूँ  फैले चारों ओर.
मृदुभाषी विनम्र अति मोहक मुख मृदुहास
सेवा कुछ करने न दी, कहा –आज उपवास.
धनी प्रखर व्यक्तित्व के, संजय मिश्र हबीब
मुझसे मिलने आ गये ,  मेरे धन्य  नसीब.
( माँ का स्वास्थ्य खराब होने के कारण 25 फरवरी से अवकाश पर दुर्ग में रहा. व्यस्तता व नेट अनुपलब्धता के कारण ब्लॉग जगत से दूर रहना पड़ा. इसी दौरान रायपुर से श्री संजय मिश्र हबीब आदित्य नगर दुर्ग आये. इसी अंतरंग मुलाकात को पद्य रूप में आप सभी के साथ शेयर करने का प्रयास किया है.)
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)

18 comments:

  1. पहला ब्लॉगर मैं बना, संजय मेरे बाद ।

    असल अरुण आतिथ्य का, पाते दोनों स्वाद ।

    पाते दोनों स्वाद, हुई थोड़ी बेइमानी ।

    सपना बिट्टू साथ, करें संजय अगवानी ।

    आऊं अगली बार, आप या आयें घर पर ।

    मिले पूर्ण परिवार, बधाई संजय रविकर ।।

    दिनेश की टिप्पणी : आपका लिंक

    dineshkidillagi.blogspot.com

    ReplyDelete
  2. आदरणीय अरुण जी
    नमस्कार !
    धनी प्रखर व्यक्तित्व के, संजय मिश्र हबीब
    मुझसे मिलने आ गये , मेरे धन्य नसीब.

    संजय हबीब जी से आपकी सार्थक मुलाक़ात रही ....यह आपकी प्रस्‍तुति बता रही है

    जरूरी कार्यो के ब्लॉगजगत से दूर था
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ

    ReplyDelete
  3. आत्मीयता भरी लाजवाब प्रस्तुति

    ReplyDelete
  4. आपक इस काव्यात्मक प्रस्तुति ने इस मुलाक़ात को यादगार कर दिया ...
    आशा है माताजी का स्वस्थ अब ठीक होगा ... मेरी शुभकामनायें ...

    ReplyDelete
  5. दो दोस्तों का मिलन बहुत बढ़िया रहा है..
    तभी तो रचना भी बहुत बढ़िया है...
    तहे दिल से लिखी रचना है..
    बहुत बढ़िया...

    ReplyDelete
  6. आपकी पोस्ट कल 15/3/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    http://charchamanch.blogspot.com
    चर्चा मंच-819:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

    ReplyDelete
  7. काव्य के द्वारा संजय जी से मिलने की सुंदर प्रस्तुति,...अरुण जी बधाई

    RESENT POST...काव्यान्जलि ...: तब मधुशाला हम जाते है,...

    ReplyDelete
  8. ब्लॉग जगत के नेह के रिश्ते .... बहुत सुंदर प्रस्तुतीकरण

    ReplyDelete
  9. ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे.....

    अच्छी लगी मुलाक़ात...
    स्नेहमयी....

    सादर.

    ReplyDelete
  10. अति मोहक मिलन और प्रस्तुतीकरण..

    ReplyDelete
  11. आत्मीयता से ओतप्रोत बहुत सुंदर प्रस्तुति...

    ReplyDelete
  12. बहुत ही उम्दा पोस्ट ,बधाई आप को ,ऐसे मिलने जुलने से ही आपस का स्नेह बढ़ता है

    ReplyDelete
  13. कभी वो दिन भी आयेगा जब हमारी भी मुलाकात होगी।

    ReplyDelete
  14. ||मिलना सचमुच आपसे, रहा बहुत ही खास
    नेह भोज पा तृप्त मन, भैया कब उपवास!!
    भैया कब उपवास, भांति हर भोग उडाया
    साहित्यिक परिवार, भेंट कर मन हरसाया
    स्मृतियों के पुष्प, सदा तुम यूँ ही खिलना
    बनी रहे यह राह, और यह जुलना मिलना||

    आनंदम... आनंदम...
    सादर आभार आदरणीय अरुण भईया.
    नेह बना रहे.

    ReplyDelete
  15. वाह! आदरणीय अरुण भईया, आपकी मनमोहक काव्यधारा में पुनः उन अनुपम पलों को जी लिया... सादर आभार.

    ReplyDelete
  16. अनुपम भाव संयोजन इन शब्‍दों में मुलाकात का ...आभार ।

    ReplyDelete
  17. निर्मल निश्छल नेह की बंधी रहे यह डोर
    प्रेम , प्यार , सद्भाव यूँ फैले चारों ओर.
    Mishra ji bahut kushal rachanakar hain milane ke bad bahut maja aaya hoga .....kas ak mulakat ap dono ke sath meri bhi ho jati to mai apne ap ko bhagyshali samajhata....

    rachana mukat ko yadgar bana detei hai ...bahut hi sundar chitran kiya hai apne ...badhai nigam sahab.

    ReplyDelete