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Tuesday, November 29, 2011

मटर दिलों में प्रेम बढ़ाता......



मटर, भाव की हद को चूमें
मटरगश्ती कर मद में झूमे.

मटक-मटक कर है मदमाता
जेब को  मेरी रोज चिढ़ाता.

मटर –फली  के जलवे देखो
सिर्फ देख कर  आँखें सेंको.

स्टेटस  दिखलाना  है तो
पर्स  निकालो , पैसे फेंको.

दुनियाँ का दस्तूर रहा है
जो भी मद में चूर रहा है.

आज चढ़ा, कल नीचे आया
ताज हमेशा पहन न पाया.

नया-नया है, अभी अड़ा है
लेकिन यह स्वादिष्ट बड़ा है.

मिलनसार भी है यह भारी
गले लगाती हर तरकारी.

चाट, कोफ्ते या बिरयानी
मटर पराठे !! मुँह में पानी.

बैगन –मटर -मसाला भाये
मटर -पनीरी मन ललचाये.

भाँति-भाँति के इसके व्यंजन
इसका भी इतिहास पुरातन.

रूठे बीबी , खौफ न खाओ
महँगी मटर फली ले जाओ.

मुस्काएगी -  प्यार जगेगा
सौदा सस्ता बहुत लगेगा.

फल्ली में दाने संग रहते
सुख-दुख साथ-साथ हैं सहते.

मटर दिलों में प्रेम बढ़ाता
मिलनसार बनना सिखलाता.

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )
विजय नगर , जबलपुर ( मध्य प्रदेश )

Sunday, November 27, 2011

मेथी की भाजी........


मेथी  की  कड़ुवाहट  मीठी
मन को भाती , खूब सुहाती
कब्ज मिटाती , भूख बढ़ाती
गुणकारी  मेथी  की  भाजी.

गरमागरम पराठे मेथी
के, चटनी संग जो भी खाए
हाथ फेर कर पेट के ऊपर
“मजा आ गया” - कह सहराए.

पतिदेव रूठे - रूठे हों
इस नुस्खे को भी अजमाएँ
गरमागरम पराठे मेथी
के, चटनी संग खूब खिलाएँ.

प्यार , पराठे संग परोसें
प्यार करेगा जीवनसाथी
मेथी  की  कड़ुवाहट  मीठी
गुणकारी  मेथी  की  भाजी.

फास्ट-फूड में क्या रखा है
परम्परागत भोजन अच्छा
बच्चों को समझाएँ – प्यारे
अच्छा स्वास्थ्य ही धन है सच्चा.

कुदरत की नेमत है मेथी
औषधीय भी, व्यंजन भी है
जो कुदरत के साथ चला है
इस दुनियाँ में वही सुखी है.

रविवार है हाट में जाओ
लेकर आओ ताजी – ताजी
मेथी  की  कड़ुवाहट  मीठी
गुणकारी  मेथी  की  भाजी.

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर , दुर्ग ( छत्तीसगढ़ )
विजय नगर , जबलपुर ( मध्य प्रदेश )

Wednesday, November 23, 2011

माया......


कुण्ठाएं तो अमरबेल सी
लिपट रहीं
मायावी इच्छाएं उर में
सिमट रहीं.
रीझ गया मन इंद्रजाल पर
यदि सखा !
प्रज्ञा हो अस्तित्वहीन
खो जाएगी.

भाग्य मृगतृष्णा-सा
सत्य कर्म है
तीव्र प्रवाहित जीवन का
प्रीत धर्म है .
लालच , ईर्ष्या , द्वेष
सँहारे नहीं गये तो
मीत ! सृष्टि अनुरक्तिहीन
हो जाएगी.

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़ )
विजय नगर, जबलपुर (म.प्र.)

Saturday, November 19, 2011

प्रियदर्शिनी इंदिरा


-श्रीमती सपना निगम की रचना

 ( चित्र गूगल से साभार )

19 नवम्बर 1917
शीतकाल थी रात उजियारी
इस दिन जन्म हुआ था आपका
गूंजी थी पहली किलकारी

माता कमला नेहरु , आपके
पिता जवाहरलाल
बेटी बनकर जनम लिया
दुनिया में किया उजाल

इलाहाबाद में बचपन बीता
प्राथमिक शिक्षा रही घर में
कॉलेज की पढाई विलायत में की
ऑक्सफोर्ड - लन्दन शहर में

सन 42 में विवाह हुआ था
2 बेटो की बनी माता
पर नियति को मंजूर नहीं था
घर-गृहस्थी से आपका नाता

पिता की प्रेरणा और प्रभाव से
राजनीति मिली विरासत में
सूचना प्रसारण मंत्री बनी थी
शास्त्री जी की हकूमत में

प्रधानमंत्री का पद मिला
सन 66  में पहली बार
कुशल प्रशासन किया आपने
दुश्मन को किया लाचार

मैत्री निभाई साम्यवाद से
पूंजीवाद से किया था किनारा
जन-जन के दिल पे राज किया
गरीबी हटाओ का दिया था नारा

नारी की तुम बनी प्रेरणा
देश का मान बढाया था
सारी दुनिया देखती रह गयी
तिरंगा जब फ़हराया था

चिर परिचित मुस्कान आपकी
महक उठी-वसुंधरा
इन्द्रलोक से आई थी जैसे
प्रियदर्शिनी-इंदिरा .......!!!

-
श्रीमती सपना निगम
आदित्य नगर दुर्ग , छत्तीसगढ़

Thursday, November 17, 2011

कुँए की पीड़ा


( यादें- आदरणीय अशोक सलूजा जी की भावपूर्ण कविता घने जंगल में सूखे कुँए की टूटी मुंडेर पढ़ कर मेरे मन में उपजे भाव  )
 
उफ् वो भी क्या दिन थे
घट,पनघट , पायल पैंजनियाँ के
कुछ अल्हड़ सी पनिहारिन संग
नई- नई दुल्हनियाँ के.

कुछ राहगीर भी आते थे
कुछ छैल-छबीले आते थे
बैठ इसी मुण्डेर कभी
वो प्रेम तराने गाते थे.

कुछ नन्हें-मुन्ने दौड़ते थे
मेरी मुण्डेर के चारों ओर
तब सांझें सब सतरंगी थी
था रंग-बिरंगा हरेक भोर.

करमा,कजरी ,ठुमरी, दोहे
के संग गुनगुनाती रातें.
इक गाँव हुआ करता था यहाँ
सब करते प्रेम भरी बातें.

जब शहर छीन ले गया उन्हें
उजड़ी इस गाँव की गली-गली
इक भौंरा भी ना भटका फिर
इस राह से ना गुजरी तितली.

जबसे उजड़ा है गाँव मेरा, जल
सूख गया है जल-जल कर.
सुख गया गाँव के साथ -साथ
जीवन जाता है छल-छल कर.

बूढ़े दरख्त हैं आस-पास
जिनको मैंने  सींचा था कल
मेरे सुख-दु:ख के साथी हैं
मेरे जैसे ही शोक विव्हल.

सूखे पत्तों से भर देते
हैं ,मेरे मन की गहराई
छन-छन कर देते धूप कभी
देते हैं अपनी परछाई.

बस ये हैं, मैं  हूँ , स्मृतियाँ
और घटाटोप है वीराना
ओ छोड़ के जाने वाले कभी
मेरी मुण्डेर पर आ जाना.

आज 18 नवम्बर को हमारे द्वितीय पुत्र आशीष के जन्म दिवस पर कृपया यहाँ 
पधार कर आशीर्वाद प्रदान करें.

अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर,दुर्ग (छतीसगढ़)
विजय नगर,जबलपुर (मध्य प्रदेश)